Sunday, 29 April 2018

शायरी-1

1. ज़िन्दगी का सफर कटता  रहा फरियादों में ,
   एक हँसी  शाम तेरे नाम का हासिल न हुआ। 

२. वो सभी छोड़ गए आधे सफर में ही मुझे,
  जिनके नक़्शे कदम पर था कभी चलना सीखा। 

3 . नहीं मिलता सुकून है अब मुझे वीराने में ,
   तेरी यादों के धागों  से, हूँ  इस तरह उलझा। 

4. आग से दिल्लगी लहरों से तुम लड़ना सीखो 
   है मोहब्बत तो फिर बेबाकी से कहना सीखो।


5 . हर तरफ़ भीड़ दीखता है हुनरबाज़ों का 
     एक बस मैं ही यहाँ पे बेहुनर निकला। 

6 . तेरी जादुई बातों का नहीं उसपे असर होगा ,
    अभी रंगों में उसने फ़र्क  करना है कहाँ सीखा। 

7.  बुझा जो रख है उसको हवा देकर कभी देखो ,
     जलते को जलाने का हुनर तो हर किसी में है। 

8 . कहीं जो कुछ  गिरे खट से तो मैं  घबरा सा जाता हूँ ,
    मेरे कन्धों पे मिलता है सुकून हर एक मुसीबत को। 

9 . तू मुझे भूल गयी मैं तुम्हें नहीं भूला 
    प्यार शायद हमारा भी एक तरफ़ा था। 

10 . जिसे देखे तो आँशु भी हँसे  वो रंग हूँ मैं ,
     ज़रा  तू देख मुड़  कर के अभी भी संग हूँ मैं। 

11 . तेरी खामोशियों से अब नहीं  शिक़वा कोई मुझको ,   
      मुझे नज़रों से दिल का हाल पढ़ना आ गया है अब। 

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